Bihar Teacher Transfer: शिक्षकों के ट्रांसफर पर रोक, नई नियमावली पर पुनर्विचार की तैयारी

Bihar Teacher Transfer: बिहार में सक्षमता पास शिक्षक के साथ बीपीएससी शिक्षक का भी ट्रांसफर हो रहा था। इस ट्रांसफर में महिला शिक्षकों को 10 पंचायतों का विकल्प देना था, जबकि पुरुष शिक्षकों को 10 अनुमंडलों का विकल्प देना था। महिला शिक्षकों को अपने गृह पंचायत को छोड़कर 10 पंचायतों का चयन करना होता, जबकि पुरुष शिक्षकों को अपने गृह अनुमंडल को छोड़कर 10 अनुमंडलों का चयन करना होता। इससे शिक्षकों को अपने घर से दूर जाकर नौकरी करनी पड़ती।

सक्षमता परीक्षा-1 में पास शिक्षकों को जिलों का आवंटन कर दिया गया था, लेकिन बिहार के 8 जिलों में सिर्फ एक ही अनुमंडल है। इस कारण लोगों को अपने गृह जिला छोड़कर दूसरे जिलों में जाना पड़ता। इसे लेकर शिक्षकों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसकी सुनवाई 19 नवंबर को हुई। जस्टिस प्रभात कुमार सिंह की सिंगल बेंच ने इस ट्रांसफर पोस्टिंग पर तत्काल रोक लगा दी। औरंगाबाद के एक शिक्षक ने यह याचिका दाखिल की थी। इस मामले की अगली सुनवाई 19 जनवरी को होगी। हाई कोर्ट ने सरकार को तीन सप्ताह के भीतर स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया है।

शिक्षा मंत्री का बयान

बिहार के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने 19 नवंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जो शिक्षक वर्तमान में जिस विद्यालय में हैं, वे वहीं बने रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि पांच सक्षमता परीक्षाओं के बाद शिक्षकों का ट्रांसफर किया जाएगा। अब तक दो सक्षमता परीक्षाएं हो चुकी हैं, और तीसरी सक्षमता परीक्षा 25-31 दिसंबर के बीच होगी। 20 नवंबर से सक्षमता पास शिक्षकों, जिनके दस्तावेज़ सत्यापित हो चुके हैं, को नियुक्ति पत्र दिया जाएगा। इस पर किसी प्रकार की रोक नहीं लगाई गई है।

नियमावली 2023 में संशोधन की तैयारी

कोर्ट का स्टे लगने के बाद शिक्षा मंत्री ने नियमावली 2023 में संशोधन की बात कही है। इससे पहले एसीएस एस. सिद्धार्थ ने कहा था कि शिक्षकों की सभी मांगों को ध्यान में रखते हुए ही ट्रांसफर पोस्टिंग के नियम बनाए गए हैं। जिन जिलों में केवल एक अनुमंडल है, उन्हें दो अनुमंडलों में विभाजित कर दिया गया है, और शिक्षकों को ई-शिक्षा पोर्टल पर इसका विकल्प दिया जाएगा।

Bihar Teacher Transfer पर शिक्षकों के मिले-जुले रिएक्शन

ट्रांसफर पर स्टे लगने से शिक्षकों का एक समूह खुश नजर आ रहा है, जबकि दूसरे समूह में थोड़ी मायूसी है। हालांकि, कोर्ट ने पूरी तरह से रोक नहीं लगाई है, और यह कोई अंतिम निर्णय नहीं है। अब देखना होगा कि सरकार और शिक्षकों के बीच इस लड़ाई में किसकी जीत होती है।

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